“Garam Khoon” poetry – 2024 | “गरम खून” हिंदी कविता

गरम खून

जैसे – भगत सिंह , आजाद , शिवाजी और रानी लक्ष्मी बाई

 

गरम खून

जैसे  – हर वक्त जोश, जवानी और जूनून

 

गरम खून

जैसे – तलवार की तेज धार

 

गरम खून

जैसे – आँखों में आग

 

गरम खून

जैसे – चहरे का (पर) तेज

 

गरम खून

जैसे – गुस्से से लाल

 

गरम खून

जैसे – जीतने की जिद्द

 

गरम खून

जैसे – सूरज का ताप

 

गरम खून

जैसे – तेज रफ़्तार

 

गरम खून

जैसे  – शेर की दहाड़

 

गरम खून

जैसे – पर्वत सा विशाल

 

गरम खून

जैसे – तेज तूफ़ान

 

गरम खून 

जैसे – असत्य का विरोध 

 

गरम खून 

जैसे – अन्याय का अंत 

 

गरम खून

जैसे  –  बुराई का नाश 

 

गरम खून 

जैसे – अँधेरे का नाश 

 

गरम खून 

जैसे –  भय का अंत 

 

गरम खून 

जैसे – देश भक्त 

 

गरम खून

जैसे – महाराणा प्रताप

 

गरम खून

जैसे – भगत सिंह , आजाद , शिवाजी और रानी लक्ष्मी बाई

 

 

 

जुकने से कोई गुलाम नहीं होता है जो “सर उठाने” के लिए जुकता है वही “महान” होता है |

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