फिक्र क्या करूँ, मैं
उस फिक्र की
जिस फिक्र को
मेरी फिक्र नहीं
“महादेव” की मंजूरी से
सब चलता है, यहाँ
तो मेरी फिक्र भी
महादेव कर ही लेगा
मेरे चाहने न, चाहने
का, क्या मतलब है
जो मेरा है,
वही मेरा रहेगा
लाख कोशिशें करें कोई,
मेरा मुझसे कोई छीन न पाएगा
फिक्र क्या करनी अपनी नशीब की
जो नशीब में था, मिल गया और
जो नशीब में है,
मिल ही जाएगा
फिक्र करना मेरा काम नहीं
अरे हम कोई “महादेव” नहीं हैं
फिक्र तो सबकी “महादेव” करते हैं
तो मुझे भी कोई फिक्र नहीं है
रहूं शरण में, मैं सिर्फ शिव के
अर्पित किया है खुद को शिव के
मेरी हर फिक्र को
शिव भष्म कर देंगे
“महादेव” मेरे, सब कष्ट हर लेंगे
संकट मेरे सब, दूर कर देंगे
भोले मेरे तू, मन में मेरे
संभु मेरे तू, दिल में मेरे
तुझसे अब कोई फिक्र नहीं है
फिक्र नहीं, कोई भय नहीं है
फिक्र करना मेरा काम नहीं है
अरे हम कोई “महादेव” नहीं हैं
फिक्र तो सबकी “महादेव” करते हैं
तो मुझे भी कोई फिक्र नहीं है
मुझे यह कविता बहुत प्रेरणादायक और गहरी लगती है, क्योंकि इसमें मैंने अपने जीवन की परेशानियों और चिंताओं को भगवान शिव के प्रति आस्था और विश्वास से जोड़कर उन्हें सुलझाने का तरीका बताया है। मैं यह कहना चाहता हूँ कि जीवन में जो भी परेशानियाँ आती हैं, हमें उन पर अधिक चिंता करने की बजाय भगवान पर विश्वास रखना चाहिए, क्योंकि महादेव की मंजूरी से ही सब कुछ चलता है। मेरी यह कविता इस विचार को व्यक्त करती है कि किस तरह हम अपनी फिक्र को शिव के ऊपर छोड़ सकते हैं, और जो हमारा है, वो हमें किसी से छीना नहीं जा सकता। मैंने यह भी कहा है कि हमारा नसीब और हमारी किस्मत जो है, वह हमें मिल कर ही रहेगी, और हमें केवल अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए। मेरी इस कविता में यह संदेश है कि हर किसी की फिक्र महादेव ही करते हैं, इसलिए हमें अपनी फिक्र करने की जरूरत नहीं है।
मैंने यह कविता इस उद्देश्य से लिखी है कि लोग अपने जीवन की चुनौतियों और फिक्र को भगवान शिव के चरणों में समर्पित कर शांति और संतुलन पा सकें। इस कविता के माध्यम से, मैं अपनी वेबसाइट पर आने वाले पाठकों को यह संदेश देना चाहता हूँ कि विश्वास और धैर्य के साथ जीवन को जिया जाए।