“महान ” | Best Hindi Poetry “Mahan” | “Great” The Poetry

इरादा मेरा, सर

जुकाने का नहीं है

वो तो में, सर

उठाने के लिए जुकता हूँ

 

जुकता हूँ में, कुछ

समझने और पाने के लिए

तभी तो में, जुक कर

भी हँसता हूँ

 

शान से चलना, तो मेरी

भी फितरत में है

तभी तो में शान से

जुकता हूँ

 

सर उठाकर भी, बहुत

से जुके ही रह गए

और बहुत से, जुक कर भी

शान से महान हो गए

 

जुकने से कोई गुलाम नहीं होता है

जो “सर उठाने” के लिए जुकता है

वही “महान” होता है |

 

जुकने से कोई गुलाम नहीं होता है जो “सर उठाने” के लिए जुकता है वही “महान” होता है |

Sharing Is Caring:

Leave a Comment